कोरोना: पुरुषों के मुक़ाबले 'ज़्यादा मज़बूत' साबित हो रही हैं महिलाएँ?

कोरोना वायरस महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ज़्यादा बड़ी संख्या में अपना शिकार बना रहा है. दुनिया के कई देशों के बाद अब भारत में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है.


स्वास्थ्य मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार भारत में कोविड-19 की चपेट में आकर जान गँवाने वालों में 69% पुरुष हैं. यानी महिलाओं के मुक़ाबले कहीं अधिक                                             


अख़बार के मुताबिक़ 22 अगस्त तक देश में कोरोना संक्रमण के कारण 38,973 पुरुषों की मौत हुई थी और 17,315 महिलाओं की. ज़ाहिर है, कोरोना वायरस की चपेट में आकर जान गँवाने वाले पुरुषों की संख्या महिलाओं की तुलना में कहीं ज़्यादा है.


हालाँकि भारत ऐसा पहला देश नहीं हैं, जहाँ ये देखने को मिला है. इटली, चीन और अमरीका में भी पुरुष अधिक संख्या में कोरोना वायरस से संक्रमित हुए और उनकी मौतों की संख्या भी महिलाओं से अधिक रही     


वजह क्या है?


इसके पीछे क्या वजहें हो सकती हैं? क्या महिलाओं की प्रतिरोधक क्षमता पुरुषों के मुक़ाबले ज़्यादा मज़बूत है, जो कोरोना संक्रमण के ख़िलाफ़ कवच की तरह काम करती है?


क्या इसके पीछे कुछ सामाजिक और आर्थिक कारण भी हैं, जिन्हें सामान्य तौर पर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है?         इन्ही  सवालों के जवाब जानने के लिए हमने दिल्ली स्थित सफ़दरजंग अस्पताल में कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉक्टर जुगल किशोर से बात की.


डॉक्टर जुगल किशोर का मानना है कि महिलाओं में प्रतिरोधक क्षमता कम करने वाले ‘रिस्क फ़ैक्टर’ कम होते हैं.


उन्होंने कहा, “भारत में धूम्रपान करने वाले पुरुषों की संख्या महिलाओं की तुलना में काफ़ी ज़्यादा है. स्मोकिंग और तंबाकू का सेवन इंसान में फेफड़ों से जुड़ी कई गंभीर बीमारियों को जन्म देता है. इनमें सबसे प्रमुख है- क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मनरी डिज़ीज (सीओपीडी).’’


डॉक्टर जुगल किशोर के मुताबिक़ सीओपीडी ऐसी बीमारी है, जो कोरोना संक्रमण का ख़तरा काफ़ी हद तक बढ़ा देती है. इतना ही नहीं, सीओपीडी से ग्रसित व्यक्ति अगर कोरोना वायरस की गिरफ़्त में आ जाता है, तो उसे ठीक होने में भी ज़्यादा मुश्किल होती है., उस व्यक्ति की तुलना में, जिसमें ये बीमारी नहीं 


वो कहते हैं, “सिगरेट और शराब जैसी चीज़ों से इंसान का प्रतिरोधी तंत्र (इम्यून सिस्टम) भी प्रभावित होता है. शायद यही वजह है कि पुरुषों का शरीर, महिलाओं की तुलना में कोरोना संक्रमण के सामने कमज़ोर साबित हो रहा है.”


डॉक्टर जुगल किशोर कहते हैं कि स्मोकिंग, शराब और तंबाकू की वजह से न सिर्फ़ फेफड़ों से जुड़ी बीमारियाँ होती हैं, बल्कि इनसे दिल और लिवर की बीमारियों के साथ-साथ कई तरह के कैंसर का ख़तरा भी बढ़ जाता है.


उन्होंने कहा, “अगर किसी को कैंसर जैसी दूसरी गंभीर बीमारियाँ हैं, तो स्पष्ट है कि उस पर कोविड-19 का असर कहीं ज़्यादा ख़तरनाक होगा.”


भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय अपनी वेबसाइट पर दी गई जानकारियों और अपने बयानों में भी यही बात बार-बार दोहरा रहा है.


स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर कोरोना से मरने वालों में 70 फ़ीसदी से ज़्यादा लोग ऐसे थे, जो ‘कोमोर्बिटीज़’ के शिकार थे, यानी पहले से कुछ गंभीर बीमारियों से ग्रसित थे.


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने भी कहा है कि कोविड-19 से होने वाली मौतों का संबंध फेफड़ों की बीमारी, दिल की बीमारी, किडनी की बीमारी और डायबिटीज़ से भी है. 


दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर धीरेन गुप्ता इसकी वजह पुरुषों के हॉर्मोन्स को बताते हैं.


उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “पुरुषों के हॉर्मोन्स उन्हें संक्रमण के प्रति ज़्यादा ग्राह्य (प्रोन) बनाते हैं. पुरुषों में पाया जाने वाला एंड्रोजन हॉर्मोन, कोरोना जैसे वायरस के शरीर में प्रवेश के लिए ज़िम्मेदार ग्राहक प्रोटीन (TMPRSS2) को ज़्यादा सक्रिय कर देता है.’’


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