त्याग, तपस्या व भारतीय संस्कृति को समर्पित था विवेकानंद का जीवन: शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम

सप्तसरोवर भूपतवाला स्थित धार्मिक संस्था श्री विवेक कुटीर में ब्रह्मलीन स्वामी विवेकानंद पुरी महाराज की षोड्शी पर उनको श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके पर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी विवेकानंद पुरी महाराज का समूचा जीवन त्याग, तपस्या व भारतीय संस्कृति को समर्पित था।शंकराचार्य ने कहा कि उन्होंने जीवन पर्यंत भारतीय संस्कृति व संस्कृत को बढ़ाने के लिए भारत ही नहीं बल्कि विश्व में अपनी कार्यशैली से भारत के साधु समाज की ख्याति को बढ़ाने का काम किया है। उन्होंने समाज को नई दिशा, नई सोच देने के लिए अपने आप को समर्पित रखा। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि वेदांत, अध्यात्म व संस्कृत के प्रचार-प्रसार में स्वामी जी ने अपना जीवन अर्पित किया। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद महाराज ने कहा कि पुरी महाराज ने लोगों के जीवन को मंत्र विज्ञान से चलाया और समाज को नई दिशा दी। संचालन श्रीमहंत देवानंद सरस्वती महाराज ने किया।



श्रद्धांजलि सभा में स्वामी शांतानंद पुरी महाराज, स्वामी सुनीता विवेक पुरी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद, महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. प्रेमानंद, प्रेमानंद, स्वामी आनंद चेतनानंद, महंत ललितानंद गिरि, स्वामी प्रकाशानंद, स्वामी जीरागिरि, स्वामी केशवानंद महाराज, श्रीमहंत विनोद गिरि, महंत दिनेश दास, महंत रवि शास्त्री, स्वामी नित्यानंद, स्वामी कृष्णानंद मौजूद रहे।
 




 



 


 

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